दीपावली है खुशियों का रौशन त्योहार
दीपों का त्योहार दीपावली केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में किसी-न-किसी रुप में मनाया जाता हैं। हिन्दू धर्म के अलावा इस पर्व को सिख, बौध और जैन धर्म में भी हर्षोल्लास के साथ मनाते है। दिवाली के कई सप्ताह पहले से ही लोग अपने घरों, दुकानों की साफ-सफाई में लग जाते हैं। दिवाली स्वच्छ्ता और प्रकाश का पर्व है इसलिए लोग अपने घर की सफ़ाई कर दिवाली की रात रंग-बिरंगे बल्बों और दीपों से सजाते हैं।
इस दिन लक्ष्मी-गणेश की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि धन की लक्ष्मी अदभुत श्रृंगार करती हैं जिसकी चमक से पूरा संसार जगमगा उठता है। इस दिन घर की लक्ष्मी यानी गृहिणीयां सज-संवर कर बड़ों का आशीर्वाद लेकर पूजा करती हैं। ऐसा करने से घर में सुख-शान्ति आती है। ग्रिगेरियन कैलेण्डर के अनुसार यह पर्व अक्टूबर या नवम्बर महीने में मनाया जाता है। इस दिन रंगोली बनाने की भी परंपरा है।
दिवाली मनाने के पीछे कई कहानियां है। कहा जाता है जब चौदह वर्ष का वनवास समाप्त कर श्री राम अयोध्या आए तो अयोध्या वासियों ने उनके आने की खुशी मे घी के दिये जलाये थे। जैन धर्म के अनुसार चौबीसवें तीर्थंकर महावीर स्वामी का निर्वाण दिवस भी इसी दिन है। सिखों के लिये भी यह पर्व महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन ही अमृतसर में 1577 में स्वर्ण मंदिर का शिलान्यास हुआ था।
पंजाब में जन्मे स्वामी रामतीर्थ का जन्म व महाप्रयाण दोनों दिवाली के दिन ही हुआ था। उन्होंने दीपावली के दिन गंगा तट पर स्नान करते समय ओम कहते हुए समाधि ले ली थी। भारतीय संस्कृति के महान जननायक महर्षी दयानंद ने दिवाली के दिन ही अजमेर के निकट अवसान लिया था। उन्होनें आर्य समाज की स्थापना की थी। बादशाह जहांगीर भी दिवाली धूमधाम से मनाते थे। शाह आलम द्वितीय के समय समूचे शाही महल को दीपों से सजाया जाता था। लाल क़िले में आयोजित कार्यक्रमों मे हिन्दू-मुसलमान दोनों भाग लेते थे। मुगल वंश के अंतिम सम्राट बहादुर शाह जफ़र भी इसे मनाते थे। दीन- ए- इलाही के प्रवर्तक अकबर के शासनकाल में भी इस त्योहार को मनाया जाता था।
रोशनी के त्योहार दीपावली में बाजार में तरह-तरह के पटाखे मिलते हैं। आजकल बाजारों में दीपावली की सजावट के लिये टेराकोटा, सेन्टेड, फ़्लोटिंग दीप और जेल कैन्डल मिलते हैं। कलात्मक ढंग से बने भगवान गणेश की मूर्तियां भी लोगो को लुभाती हैं। फिल्म रिलीज के लिए दिवाली सबसे शुभ मुहूर्त माना जाता है। एक साथ चार- पांच फ़िल्में रिलीज की जाती है। दिवाली की रात जमकर आतिशबाज़ी की जाती है। इस दिन लोग मिठाइयों का भी खूब मजा लेते हैं। अंधकार पर प्रकाश के विजय का यह पर्व समाज में उल्लास, भाईचारे और प्रेम का संदेश देता है।
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